GYPSY KAKDI

काकडी ( gypsy kakdi ) कि खेती

rushib8317@gmail.com
10 Min Read
Highlights
  • काकडी ( gypsy kakdi ) कि खेती नयी तकनीक अपनाकर ज्यादा मुनाफा कय्से कमाये पुरी ज्यांकारी

GYPSY KAKDI

               देश के सभी किसान भाइयो हम आप तक जो भी जानकारी पहुंचाते है. वो हमे हमारे किसान भाइयों के द्वारा दी जाती है. जिसको की हमारे विशेषज्ञ अपनी जानकारी जोड कर पूरा करते है. वही ज्यानकारी हम आप तक पुरे विस्तार से पोहच्याते है. आज हम gypsy kakdi के बारे बताने वाले है. gypsy kakdi ये कद्दू वर्गीय फसलो मे काकडी का अपना एक अलग ही स्थान है. इसका उत्पादन पुरे देश मे किया जाता है. गर्मियो और शाधियो मे भी काकडी की बाजार मे बहुत मांग बड रहि  है. इसे मुख्यत: भोजन के साथ सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है. ये गर्मी से शीतलता प्रदान करता है और हमारे शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है. इसलिए गर्मियों के 2 महिने पहले हि इसकी लागत कि ज्याती है. इसका सेवन गर्मियो मे काफी फायदेमंद होती है. इससे किसान भाई अपनी नियमित आमदनी कर सकते है तथा जो दैनिक जरूरतें है. उनके लिए ये फसल बहुत ही लाभदायक है. सबसे बड़ी बात इतना पौष्टिक और गुणों से भरपूर खीरा पूरे विश्व को भारत ने ही दिया है. खीरे को सलाद के साथ साथ खूबसूरती बढ़ाने वाले उत्पादों में भी किया जाता है.
काकडी की गर्मियों में बाजार मांग को देखते हुए जायद सीजन में इसकी खेती करके किसान को सबसे अच्छा लाभ मिलता है.

             तो आइए जानते है, काकडी की खेती की उन्नत तकनीक के बारे में पुरे विस्तार से ज्यानते है, जिससे किसान को अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करके बडा मुनाफा किसान को कय्से मिलेगा मिल सकता है.

GYPSY KAKDI

gypsy kakdi कि लागत के लीये खेत कि जुताई

सबसे पहले तो हमें ये देखना चाहिए कि जैसे ही हमारा कोई खेत फसल से खाली होता है. तो उसमें उस समय की फसल लगा देनी चाहिए. इससे किसान की आमदनी भी बढ ज्याती है. खेती से किसान भाइयों की जरूरतें भी पूरी होती है. देश सबसे ज्यादा लागत की महाराष्ट्र,कर्णाटक और उत्तर प्रदेश मे सबसे ज्यादा लागत कि ज्याती है. सबसे पहले आपको केत कि जुताई करना पडती है. उसके बाद आपको उस खेत मे गोबर की बनी हुई 40 से 50 टन पर एकड़ खाद डालनी पडती है. साथ ही अगर हम मिटटी की जाँच करा लेते है तो बहुत अच्छा है. मिटटी की जाँच करनेसे खेत कितनि नाइट्रोजन कि या अन्य कोई घटक कि कम-ज्यादा मातरा है, पता चल ज्याता है. इसकी बजह से किसान को लागत के समय पाय्से बचत हो ज्याती है. इसके बाद आपको आपको प्रति एकड़ मे 5 से 6 टन तक गोबर फायलादे उसके बाद अंतिम जुताई करे. खेत में पहली जुताई गहरे से करनी चाहिए उसके बाद 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर से करके पाटा लगा दे. जिससे की खेत समतल हो जाये और कहीं भी पानी भरने या रुकने की गुंजाईश ना हो जाये.

gypsy kakdi मिट्टी और जलवायू प्रम्बंद

gypsy kakdi को रेतीली दोमट व भारी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई एवं दोमट मिट्टी में अच्छी होती है. gypsy kakd की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7 के बीच होना जरुरी है. इसकी खेती उच्च तापमान में अच्छी होती है. वहीं ये पाल सहन नहीं कर सकता है. इसलिए इसकी खेती जायद सीजन में करना अच्छा रहता है. बारिश वाले मौसम में कीड़े लगाने कि संभावना रहती है जिससे कि फसल में नुकसान होता है. अगर फूल आने के समय ज्यादा गर्मीं होती है तो नर फूल ज्यादा आते है. मौसम सामान्य रहता है तो मादा फूल ज्यादा आते हैं जिससे कि फल अच्छा आता है.

gypsy kakdi बुवाई कोनसे महिने मे करे

की बुवाई ज्यादातर फरवरी व मार्च के महीने में की जाती है. वर्षा ऋतु के लिए इसकी बुवाई जून-जुलाई में करते है. वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च व अप्रैल माह में की जाती है. खेत को तैयार करने के बाद कम से कम 12 घंटे तक खेत को आराम दें, उसके बाद खेत की बुवाई करे.

gypsy kakdi उन्नत किस्में (बीज)

  • भारतीय किस्में- स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना काकडी, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, काकडी 90, कल्यानपुर हरा काकडी, कल्यानपुर मध्यम और काकडी 75 प्रमुख है.
  • विदेशी किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट प्रमुख है.
  • नवीनतम किस्में- पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल प्रमुख है.
  • संकर किस्में- पंत संकर काकडी- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि है.

gypsy kakdi बुवाई कय्से करे

खेत को तैयार करने के बाद कम से कम 12 घंटे तक खेत को आराम दें, उसके बाद खेत की बुवाई करें. एक हेक्टेयर में ढाई से तीन किलोग्राम बीज कि लागत हो ज्याती है. बुवाई का समय स्थान विशेष की जलवायु पर निर्भर करता है. इसकी बुबाई बेड बना कर और मल्चिंग डालकर करे ,तो फल कि उत्पाद और क्वालेटी भी अच्छी हो ज्याती है. किसान ने लागत होणे के बाद 45 से 50 दिन के भाद फल कटाई को तयार हो ज्याती है .

gypsy kakdi कि रोग और किट नियंत्रण

  1. विषाणु रोग : खीरे में विषाणु रोग एक आम रोग होता है. यह रोग पौधों के पत्तियों से शुरू होती है. और इसका प्रभाव फलों पर हो ज्याता है. पत्तियों पर पीले धब्बों का निशान पड़ जाता है और पत्तियां सिकुडऩे लगती है. इस बीमारी का असर फलों और फुलो पर भी पड़ता है. फल छोटी और टेड़ी-मेड़ी हो जाती है. इस रोग को नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम मिलाकर इसे 250 एमएल प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करके से दूर किया ज्याता है.
  2. रेड पम्पकिन बीटिल : ये लाल रंग तथा 5-8 सेमी लंबे आकार के कीट होती है. ये कीट पत्तियों के बीच वाले भाग को खाइ ज्याती है. जिसके कारण पौधों का अच्छे से विकास नहीं पाता है.
    इस कीट से बचने के लिए नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रोझाइम को मिलाकर इसे 250 एमएम प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करने के बाद कम हो ज्याता है.
  3. एन्थ्रेक्नोज : यह रोग मौसम में परिवर्तन के कारण बहुत झादा पत्तियो पर नजर आता है. इसके कारण फलों तथा पत्तियों पर धब्बे पड ज्याते है.
    इस रोग को नीम का काढ़ा या गौमूत्र में माइक्रो झाइम मिलकाकर इसे 250 एमएल प्रति पंप फसलों पर छिडक़ाव करके दूर किया जा सकता है.
  4. एपिफड : ये बहुत छोटे-छोटे कीट होते है. ये कीट पौधे के छोटे हिस्सों पर हमला करते हैं तथा उनसे रस चूसते लेते है.
    इन कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है और ये वायरस फैलाने का काम करती है. इन कीटों की वजह से पत्तियां पीली पडऩे लगती है.
    इस कित को रोकने के लिए नज्दिकी किसान औशाडी केंद्र मे ज्याकर सलाह ले सकते है.
  5. चूर्णिल असिता : यह रोग ऐरीसाइफी सिकोरेसिएरम नाम से एक फफूंदी के कारण होता है. यह रोग मुख्यत: पत्तियों पर होता है .
    और यह धीरे-धीरे तना, फूल और फलों पर हमला करने लगता है. इसके नियंत्रण के अनुभूवी किसान को पुचके दवा चीडका सकते है.
Red Cabbage

FAQ (संबधित प्रश्न )

  1. खीरा ककड़ी कब लगानी चाहिए?

A- खीरा लगाने का सर्वश्रेष्ठ समय नवंबर और डिसेंबर मे लगाणी चाहिये, क्युंकी इस समय लागत करनेसे फल 45 से 50 दिन चालू होता है. मार्च महिने मे खीरा का किमत पर बिकती है.

2. खीरे की खेती क्या अक्टूबर में की जा सकती है?

A- अक्टूबर के महीने में किसान खीरे की लागत कर सकते है.

3.तोरी और खीरे कितनी दूर लगाते हैं?

A-  यदि आप अपने खीरे या तोरी को लागत कर रहे है, तो आप उन्हें लगभग 12 इंच की दूरी पर दोनो दिशा को लगा सकते है. 

4. ककड़ी कितने दिन में फल देती है?

A- अगर आप ककडी बीज लगाते है, तो 55 से 60 दिन मे फल कटाई को आ ज्याता है. और नरसरी कि लागत करते हो, तो 40 से 45 दिन मे फल कटाई  को आ ज्याता है. 

5.ककड़ी का दूसरा नाम क्या है?

A- ककडी का दुसरा नाम खीरा है. 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *