Bhendi ki kheti
Bhendi ki kheti भारत दुनिया में भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है. भिंडी सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, ये सब्जी भारत मे ज्यादा खाने वाली सब्जी है. भेंडी के खेती किसानो फुनाफा ज्यादा होता. पोषण, स्वाद, औषधीय और औद्योगिक रूप से समृद्ध होने के कारण भिंडी सभी वर्गों के लोगों में सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है.ज्यो सेहत के लीये घी सबसे लाभदारक है. भेंडी कि सब्जी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हरियाणा इन राज्यो मे सबसे ज्यादा आति है.
Bhendi ki kheti के खेती के बारे मे पुरे विस्तार ज्यानते है.
Bhendi ki kheti कब लागत करे
Bhendi ki kheti भारत मे ज्यादा तर किसान जनवरी-फरवरी,मे-जून और अक्टूबर-नवंबर मे भेंडी कि लागत करते है. एक साल तीन बार आप भेंडी कि बुवाई कर सकते है. भिंडी एक ज्यादा तर गर्म मौसम की सब्जी है. और में अच्छी तरह से उगाई जाती है. भेंडी कम रात के तापमान और सूखे के लिए अतिसंवेदनशील सब्जी है. 17 डिग्री सेल्सियस से निचे बीज कि अंकुरितता नहीं हो ज्याती है.
भेंडी के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस तक होता है. उपज प्राप्त करने के लिए 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है. 42°C से ऊपर के तापमान पर फूल झड़ जाते है, और पैदावार कम होती है. भिंडी का पौधा गर्म मौसम की अपेक्षा बरसात के मौसम में लंबा चला ज्याता है, और ठंड मे झ्यादा लंबा नाही ज्याता.
Bhendi ki kheti के लीये मिटी
Bhendi ki kheti के खेती के लीये कई तरह की मिट्टी में उगाया ज्याता है. भेंडी को ढीली, भुरभुरी, दोमट मिट्टी जो जैविक गुणों से भरपूर होती उसमे सब्जी कि पयदावार अच्छी अति है. यह मिट्टी की अम्लता और इष्टतम मिट्टी पीएच के प्रति अच्ची होती है. बरसात के मौसम में जलभराव फसल के लिए हानिकारक होती है.
Bhendi ki kheti के लागत के लीये मोसम
Bhendi ki kheti भारत के मैदानी इलाकों में भिंडी की बुआई साल में दो बार की जाती है. वसंत/ग्रीष्म कि फसल है. फरवरी के अंत से मार्च के प्रारंभ तक बोया ज्याता है. वर्षा ऋतु की फसल जून-जुलाई में बोई जाती है. उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल-जून में बोई जाती है. दक्षिण भारत में इसे हल्की सर्दी के कारण साल भर बुवाई कराई ज्याती है.
Bhendi ki kheti बुवाई कय्से करे
Bhendi ki kheti के लीये बीज सीधे मिट्टी में बोया जाता है. वसंत/गर्मी की फसल के लिए बीजों को कम दूरी 6 इंच से 8 इंच पर बोया जाता है. और बरसात के मौसम की फसल के लिए अधिक दूरी 12 इंच से 1.5 फिट पर बोया ज्याता है.
Bhendi ki kheti खाद और उर्वरक
Bhendi ki kheti खेती के लीये पोषक तत्वों की भारी खपत होती है. मिट्टी से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 10 किलोग्राम फास्फोरस, 15 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से खेत में दे. खाद और उर्वरक उर्वरता स्तर के आधार पर जगह-जगह भिन्न होती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय पर देते है. भूमि की तैयारी और आधा नाइट्रोजन का उपयोग दो बराबर भागों में किया जाता है, एक बुवाई के 2 सप्ताह के बाद और दूसरी फूल आने और फल लगने की अवस्था में नायट्रोजन का उपयोग करते है.
Bhendi ki kheti के लीये सिंचाई
Bhendi ki kheti के लीये सिंचाई की आवृत्ति जलवायु की स्थिति और वर्षा की आवृत्ति पर भी निर्भर करती रेहती है. बीज बोते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए और फूल आने और फलों के विकास के दौरान सिंचाई महत्वपूर्ण है. गर्मी के मौसम में 3-4 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी पडती है. वर्षा ऋतु की फसल के लिए यदि सिंचाई की जाती है. जब मिट्टी कि नमी कम होणे के बाद सिंचाई करते है.
Bhendi ki kheti कि बिमारीया और रोकथाम
Bhendi ki kheti मे लगने वाला झुलसा : Bhendi Ki Kheti की बात करे तो इसमें झुलसा सबसे अधिक नुक़सान पहुँचाता है. इस रोग का सबसे मुख्य लक्षण यह है, कि इसके कारण फलों की गुणवत्ता ख़राब हो जाती है, और भिण्डी के पत्तो पर विभिन्न प्रकार के लम्बूतरे धब्बे उभर आते है. और पत्ते किनारों से मुड़ जाते है.
रोकथाम : भेंडी में इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर डायथेन एम-45 (0.25%) 250 ग्राम दवाई का 200-300 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें और 5 से 6 दिन के बाद फिर से उसी दवा का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते है.
Bhendi ki kheti मे खरपतवार नियंत्रण
Bhendi ki kheti मे नदीन को नियंत्रण में रखने के लिए 3-4 बार गुड़ाई करी ज्याती है. पहली गुड़ाई बुवाई के लगभग दो सप्ताह बाद और बाद में साप्ताहिक अंतराल पर गुड़ाई करें. जैविक खेती में मल्चिंग की मदद से खरपतवार नियंत्रण किया जाता है. जैविक पलवार या कतारों के बीच काली पॉलिथीन के प्रयोग से खरपतवार की हानि को कम करने में मदद मिलती ज्याती है.
Bhendi ki kheti : भेंडी कि तुडाई
भिंडी के फलों की तुड़ाई किस्म पर निर्भर करती है. वैसे अगर बात करे तो इसकी तुड़ाई लगभग 45 से 55 दिनों में शुरू होती है. ध्यान दें कि इसकी 1 से2 दिनों के अंतराल पर रोजाना तुड़ाई करें .