Baby Corn
मक्का की खेती में किसानों का फायदा पक्का माना जाता है. इसमे Baby Corn एक आयसी मक्का ज्यो किसानो को सबसे अछा मुनाफा देता है. जिसका श्रेष्ठ उदाहरण इन दिनों दिखाई दे रहा है. किसानों को मक्के का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है. कुल मिलाकर देश केअंदर मक्का, गेहूं और चावल के बाद तीसरे सबसे महत्वपूर्ण Baby corn है.इसमे मे कार्बोहाइड्रेड, कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन होता है. वहीं इसे कच्चा या पका कर भी खाया जा सकता है. अपने इन गुनो की वजह से Baby corn ने अपना एक बाजार विकसित किया है. ऐसे में किसानों को Baby corn उत्पादन बेहद ही फायदा देता हैहम इस पोस्ट मे Baby corn के बारेमे पुरे विस्तार से जानते ह
Baby corn के अलग प्रज्याती के बीज
भारत में पहला Baby Corn प्रजाति वीएल-78 है. इसके अलावा एकल क्रॉस हाईब्रिज एचएम-4 देश का सबसे अच्छा बेबी कॉर्न हाइब्रिड है. वीएन-42, एचए एम-129, गोल्डन बेबी (प्रो-एग्रो) बेबी कॉर्न का भी चयन कर सकते हैं.
किसान सबसे ज्यादा 5417 और 5414 के बीज ज्यादा इस्तेमाल होता है.
Baby corn का उत्पादन कय्से होता है
पुरे दुनिया मे Baby Corn की खपत तेजी से बढ़ रही है. पौष्टिकता के साथ ही अपने स्वाद की वजह से बेबी कॉर्न ने अपना एक बाजार विकसित किया है. वहीं पत्तों की लिपटे होने के कारण इसमें कीटनाशकों का प्रभाव नहीं होता है. इस वजह से भी इसकी मांग बेहद अधिक है. ऐसे में बेबी कॉर्न का उत्पादन कैसे होता है, पहले यह जानना जरूरी है. असल में Baby corn मक्के की प्रारंभिक अवस्था है, जिसे अपरिपक्व मक्का या शिशु मक्का भी कहा जाता है. मक्के की फसल में भुट्टा आने के बाद एक निश्चित समय में इस तोड़ना होता है. Baby corn के माक्के का पशुओको चारा भी मिलता है. यानेकी दोनो तरफ से Baby corn बहुत हि फायदे मंद है.
Baby corn का उत्पादन फसल होने के बाद 50 से 55 दिन में किया जा सकता है. इस तरह किसान एक साल में बेबी कॉर्न की 4 फसलें कर सकते हैं. जिसमें किसान प्रति एकड़ 4 से 6 क्विंटल Baby corn की उपज ले सकते है.इसमे प्रती एकर 8 से 10 KG बीज लगता है. इसमे आपको 10 क्विंटल से 12 क्विंटल तक उत्पादन मिल ज्याता है. वहीं Baby corn मक्के की फसल से तोड़ लेने के बाद पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था भी आसानी से हो जाती है.
Baby corn को बुवाई का सही तरीका
भारत Baby corn की खेती साल भर की जा सकती है. मक्का अनुसंधान निदेशालय पूसा की एक रिपोर्ट के अनुसार बेबी कॉर्न का उत्पादन सामान्य मक्के की खेती की तरह ही है, लेकिन कुछ विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. जिसके तहत किसान को बेबी कॉर्न के उत्पादन के लिए मक्के खास संकरीत बीज की बुवाई करनी चाहिए. किसान एक एकर मे 10 से 12 KG बीज का प्रयोग कर सकते हैं. बेबी कॉर्न की खेती के लिए अधिक पौधे लगाने चाहिए, इस वजह से उर्वरक का प्रयोग अधिक करना पड़ता है. तुड़ाई के समय का विशेष ध्यान रखना होता है. जिसके तहत सिल्क आने के बाद 24 घंटे के अंदर तुड़ाई आवश्यक है. सिल्क की लंबाई 22 से 24 इंच होनी चाहिए. सिल्क मे दो बीज के अंतर 4 से 5 इंच रक सकते है.
Baby corn का खाद प्रबंदन
Baby corn खेती में भूमि की तैयारी के समय 15 टन कम्पोस्ट या गोबर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए.
बेसल ड्रेसिंग उर्वरकों के रूप में 75:60:20 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से एनपीके एवं बुवाई के तीन सप्ताह बाद शीर्ष ड्रेसिंग उर्वरकों के रूप में 80 किग्रा नाइट्रोजन और 20 किग्राम पोटाश देना जरुरी है.
Baby corn रोग उपचार
Baby corn के बीजों को बीज और मृदा से होने वाले रोगों से बचाना होता है. इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना सबसे अच्छा तरीका है. एहतियात के तौर पर बीज और मृदा से होने वाले रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए उन्हें फफूंदनाशकों और कीटनाशकों से उपचारित करनाहोता है. फीप्रोनील का प्रयोग 44 मिली प्रति किग्रा बीज की दर से दीमक को नियंत्रित कर सकते है. इसके अलावा बुवाई से पहले जैविक खाद एजोस्पिरिलम के 3-4 पैकेट से उपचार करने से बेबीकॉर्न की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है. Baby corn फसल में शूट फ्रलाई, पिंक बोरर और तनाछेदक कीट प्रमुख रूप से लगते हैं. कार्बेरिल 700 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करने से इन कीटों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
Baby Corn कहा और कय्से बेचे
Baby Corn को नाजदिकी मार्केट मे बेच सकते है.मार्केट मे जय्सी मांग रहती है,उस प्रकार आप प्याकिंग करके मार्केट मे भेज सकते है.जय्से कि 10KG ,1KG और 200 ग्राम का प्याकिंग रेहता है.और एक्ष्पोर्ट के लीये बॉटल प्याकिंग कि जरुरत पडती है. भाव कि बात करे तो सीजन के नुसार भाव रेहता है.